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Showing posts from May 27, 2012
  MAY 27  “ मेरी माँ की यादें ”  “ मेरी माँ ने मुझको समझा,बाकी सबनें बहकाया, फैला के ममता का आँचल, मुझको है गले से लगाया ” है फोन कॉल करती मुझको ,सारी बातें करती मुझसे, मेरा हाल जान लेती है पर ,अपना कभी न कहती मुझसे, मेरी हर बातों को माँ अपने दिल से लगाये, हर बार तो माँ मुझको,कोई नयी सीख बतलाए               हर बार है माँ ने है पूछा, बेटा तूने कुछ खाया, मेरी यादों मे मेरी माँ,बाकी न किसी की छाया,              मेरे दिल पे है बस मेरी माँ का साया, उसकी ममता के आगे,बेकार है सारी माया॰        मेरी माँ की ममता है सबसे निराली, उसकी ममता के आगे बेकार हैं होली दिवाली,        मेरी हर यादों को तो वो,अपनी यादें बनाये, अपनी ममता का सारा हक़ मुझपे दिखलाये॰         “ मेरी माँ ने मुझको समझा,बाकी सबनें बहकाया, फैला के ममता का आँचल, मुझको है गले से लगाया ”                                    अभिनव द्विवेदी              पता - 126 एम.आइ.जी. 3 सूर्यविहार, नवाबगंज  कानपुर (208002)                      
  MAY 9 घर लौट कर आया हू मै   ज़िन्दगी के जूऐ में सब हौंसले हार के घर परत आना गली के मोड़ पे बापू की खांसी पहचान लेना  घर के दरवाज़े से  माँ की आंहे सुन लेना  किसी कोने में उड़ते  बहन के आंसू देख लेना  दीवार में फसें छोटे भाई के  हाथ पकड़ लेना कुछ  इस तरह ही होता है  जब बरसों बाद  घर से अपनी रोशनी ढूँढने गया  घर का चिराग  किसी सुबह को  दुनिया के तमाम अंधेरे  लेकर लौट आए  और अपनी आंखों से  खुश्क सा गिला करे ... । Posted  3 weeks ago  by  shailesh dixit     0   Add a comment GUSTAKHI Classic   Flipcard   Magazine   Mosaic   Sidebar   Snapshot   Timeslide Recent Date Label Author May 27th May 27th May 10th 1 May 9th Loading Send feedback