दोस्ती दर्द में कुछ कमी-सी लगती है जिन्दगी अजनबी-सी लगती है एतबारे वफ़ा अरे तौबा दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है मेरी दीवानगी कोई देखे धुप भी चांदनी-सी लगती है सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ हर तरफ रौशनी-सी लगती है आज की जिन्दगी अरे तौबा मीर की सायरी सी लगती है शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है ये सहर आखरी-सी लगती है जाने क्या बात हो गयी यारों हर नजर अजनबी-सी लगती है दोस्ती अजनबी-सी लगती है.......