सदा रहेगा - सच गुजरा हुआ कल, कसक उठता है - याद करते आज भी समय - स्थान - सब, सब लोग दूर कहाँ चले गये वह वर्तमान - कल बन' अनजान बन गया . छूटे सभी जहाँ-तहां - यहाँ रहे कुछ वहां गये कई जाकर न लौटे कभी यही सब नहीं हो रहा निरंतर साड़ी सृष्टी में कहाँ - कैसा ? प्रेम मिटता - द्वेष करता - अभावों से घिरी नहीं है क्या - ये सारी दुनिया ? उसमें ही रमता रहा - साडी जिन्दगी मन, समय के फेर का ही नाम क्या दुनिया, समझना कठिन - और कठिनतर होता गया समय का भेद कब कैसे मिटे ? समझना आगया -- छण का गुजरना - पहर दिन - वर्ष - युग का समझना - आसान हो जाये