APNA KANPUR manzill की chah Mai न Zane कहा से कहा आ gya . अब एक sedhe chadta हू 2 dusri dikh zati है . dusri badhta हू 2 tesri आ zati है . नई jagah Mai अपने bindas कानपुर मैं dudhne की kosis करता हू . मिलता नही सहर thak कर khada हो zata हू .. नए saher मुझे नए मिल दोस्त . लेकिन इनको bhe एक दिन zuda हो zana है . sochta hu सब chod कर zau अपने bindas बचपन कश्मीर saher Mai . वो घर सामने बना पार्क , पार्क Mai बना मंदिर .. शाम को जब घर लौट कर अता था . fre hoker मंदिर JATA और दोस्त का zamghat Lag jata tha... एक dusre से tesre की burai , बड़ा hasi mazak होता था . mauhla bhe hasi बड़ा dukhi होता था . एक ghante hasi mazak बाद बाइक lekr हम निकल padte . कभी beear