Skip to main content

Posts

आए दिन छपते हैं समाचार कि दहेज लौलुपों ने जला दी जिन्दा बहू कि सगे चाचा ने खींच दिये किसी मासूम बच्ची के ललाट पर, अपनी हवस के रींगटे कि कोई आदमी टॉफी का लालच देकर ले गया एक मासूम बच्चे को इंसानी माँस का स्वाद चखने के लिये। मनुश्य के वेश में घूमते  भेड़ियों से बचने के लिये बहुत ज़रूरी हो जाता है शेर का अपनापन/ शेर पिंजरे में हो तो भी क्या हुआ भेड़ियों और गीदड़ों को भगाने के लिये तो पर्याप्त होती है उसकी एक दहाड़ ही। मनुश्य हो या जानवर जीवन तो प्रेम की ही करता है तलाश और जो अमन का विश्वास सौंपे जीवन के कमल सरीखे हाथों में कोई उसे कैसे नहीं चूमे?
जंगल  कट गए बंगले बन गए हरी रंग की धरती काली पीली हो गयी  कट रहे है पेड़ गुम रहा है  जंगल कैसे होगी बारिश कौन देखेगा हरियाली  रोज रोज बनते बंगले रोज रोज कटते जंगल क्या होगा प्रक्रति का या तो होगी धूप या होगी ठण्ड जंगल ऐसे ही कटे तो क्या होगा प्रक्रति का           

naya sal

हर साल बस यु ही होता है , पुराना साल जाता है, और नया  साल आता है, हम बस वही रह जाते है जाते  हूये को ताकते रहते है और आते हुये को भी ताकते ही रहते है, कुछ भी तो नही कर पाते है, अजी हर साल कसमे खाते है पर सिगारेट की लत है की   छोड नही पाते है........  

100 ka note

बापू , बहुत पीड़ा होती है  तुम्हारी मुस्कुराती तस्वीर  चंद हरे पत्तों पर  देख कर  जिसको  पाने की चाह में  एक मजदूर  करता है दिहाडी  और जब शाम को  कुछ मिलती है  हरियाली  तो रोटी के  चंद टुकड़ों में ही  भस्म हो  जाती है  न जाने कितने  छोटू और कल्लू  तुमको पाने की  लालसा में  बीनते हैं कचरा  या फिर  धोते हैं झूठन  पर नहीं जुटा पाते  माँ की दवा के पैसे  और उनका  नशेड़ी बाप  छीन ले जाता है  तुम्हारी मुस्कुराती तस्वीर  और चढा लेता है  ठर्रा एक पाव . बिना तुम्हारी तस्वीरों को पाए  जिंदगी कितनी कठिन है गुजारनी  इसी लिए न जाने कितनी बच्चियाँ झुलसा देती हैं अपनी जवानी .  देखती होगी  जब तुम्हारी  आत्मा  अपनी ही मुस्कुराती तस्वीर  जिसके न होने से पास  किसान कर रहे हैं  आत्महत्या  छोटू पाल रहा है  अपनी ही लाश  न जाने कितनी बच्चियां  करती हैं...
                                                   दर्द  है  प्यार  में    दर्द  तो  ज़िन्दगी  की  सबसे  बड़ी  सच्चाई  है , ज़िन्दगी  कब  भला  दर्द  से  बच  पाई  है , मैंने  सोचा  था  दर्द  दूर  है  मुझे  से  बहुत , हर  पल  मिली  मुझे  दर्द  से  रुसवाई  है , हालत -इ -दिल  कैसे  बातों  मैं  तुम्हे , प्यार  में  तेरे  चोट  बहुत  बड़ी  खायी  है , दिल  ने  सोचा  था  करे  गए  मोहब्बत  की  बातें  , क्यूँ  प्यार  में  की  तुने  बेवफाई  है .
                                                                 दोस्ती दर्द में कुछ कमी-सी लगती है जिन्दगी अजनबी-सी लगती है एतबारे वफ़ा अरे तौबा दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है मेरी दीवानगी कोई देखे धुप भी चांदनी-सी लगती है सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ हर तरफ रौशनी-सी लगती है आज की जिन्दगी अरे तौबा मीर की सायरी सी लगती है शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है ये सहर आखरी-सी लगती है जाने क्या बात हो गयी यारों हर नजर अजनबी-सी लगती है दोस्ती अजनबी-सी लगती है.......
DAUD         आज, ना जाने क्यों ? थक गया हूँ जीवन की इस दौड में कोई राह नहीं सामने दूर तक इन उनींदी आँखों में नया जीवन चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ भय था कभी विकराल लडकपन था नादान माँ का असीम प्यार पिता की डाँट और दुलार जून की दोपहरी में, छत पर वही बिछौना चाहता हूँ आज मै रोना चाहता हूँ नाना‍‍ नानी की कहानियाँ दादा दादी की परेशानियाँ भैया दीदी की लडाईयाँ पापा मम्मी की बलाइयाँ बस उन्हीं लम्हों में आज फिर खोना चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ साथियों के संग होली का हुडदंग बारिश में कागज की नाव दबंग गर्मियों में छुट्टियों के दिन स्कूल में सीखने की उमंग अपने अकेलेपन में, वो टूटे मोती पिरोना चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ कुछ कर गुजरने की चाह सफलता की वो कठिन राह मुश्किलों का सामना करने की पापा की वो सलाह आज फिर से वही सपने संजोना चाहता हूँ ना जाने क्यों, आज मैं रोना चाहता हूँ शायद कुछ छोड आया पीछे आगे बढ़ने की हौड में पीछे रह गये सब, मैं अकेला इस अंधी दौड में लौटा दो कोई मेरा बचपन, पुराना खिलौना चाहता हूँ हाँ, आज मैं रोना चाह...