Skip to main content

                                                       APNA KANPUR

                             manzill की chah Mai  Zane कहा से कहा  gya.
            अब एक sedhe chadta हू 2 dusri dikh zati हैdusri badhta हू 2 tesri zati है.
      नई jagah Mai अपने bindas कानपुर मैं dudhne की kosis करता हू.
मिलता नही सहर thak कर khada हो zata हू ..
नए saher मुझे नए मिल दोस्तलेकिन इनको bhe एक दिन zuda हो zanaहै.
sochta hu सब chod कर zau अपने bindas बचपन कश्मीर saher Mai.
वो घर सामने बना पार्कपार्क Mai बना मंदिर ..
शाम को जब घर लौट कर अता था.
fre hoker मंदिर JATA और दोस्त
 का zamghat
Lag jata tha...

एक dusre से tesre की buraiबड़ा hasi mazak होता था.
mauhla bhe hasi बड़ा dukhi होता था.
एक ghante hasi mazak बाद बाइक lekr हम निकल padte.
कभी beear
 कभी angregi tharra पिया करते.
रात को नियंत्रण hoker जब घर zata था.
pakda gya 2 खाना khane बुरा माँ का trailor bhe खाता था.
अब yado Mai heee baase है वो दिन.
जब कभी कानपुर JATA हु,
अपने dosto साथ वो purane Yade vapas लाना चाहता हू ..

Comments

Popular posts from this blog

                                       लोगो ने कहा की मैं शराबी हूं,                                    मेन Kaha Unho ने Ankhon से Pilaiee है.                                     लोगो ने कहा की मैं आशिक हूं,                                   मेन Kaha Ashiqi Unho ne Sikhaiee है.                               लोगो Ne Kaha "शैलेश" तू शायर Dewana है,                                   मेन Kaha unki मोहब्बत रंग  layi है
हर देश की पत्रकारिता की अपनी अलग जरूरत होती है। उसी के मुताबिक वहां की पत्रकारिता का तेवर तय होता है और अपनी एक अलग परंपरा बनती है। इस दृष्टि से अगर देखा जाए तो भारत की पत्रकारिता और पश्चिमी देशों की पत्रकारिता में बुनियादी स्तर पर कई फर्क दिखते हैं। भारत को आजाद कराने में यहां की पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। जबकि ऐसा उदाहरण किसी पश्चिमी देश की पत्रकारिता में देखने को नहीं मिलता है। आजादी का मकसद सामने होने की वजह से यहां की पत्रकारिता में एक अलग तरह का तेवर विकसित हुआ। पर समय के साथ यहां की पत्रकारिता की प्राथमिकताएं बदल गईं और काफी भटकाव आया। पश्चिमी देशों की पत्रकारिता भी बदली लेकिन वहां जो बदलाव हुए उसमें बुनियादी स्तर पर भारत जैसा बदलाव नहीं आया। इन बदलावों के बावजूद अभी भी हर देश की पत्रकारिता को एक तरह का नहीं कहा जा सकता है। पर इस बात पर दुनिया भर में आम सहमति दिखती है कि दुनिया भर में पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट आई है। इस गिरावट को दूर करने के लिए हर जगह अपने-अपने यहां की जरूरत के हिसाब से रास्ते सुझाए जा रहे हैं। हालांकि, कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें हर जगह पत्रकारि

mera tha koi

ना   खुदा   दिल   banata   न   किसी से   प्यार   होता   है, ना   kisiki   याद   अति   न   kisika   intazar   होता . दिल   दिया   है   बनना   सम्भल   के   रखना , Shishe  से   बना   है   पत्थर   से   dur   रखना ! ` अगर  हम   ना   गजल   कौन   kehta   होते , आप   के   चेहरे   को   कमल   मैं   kehta ये   करिश्मा   है   मोहब्बत का , वर्ना  pathro   मैं   tajmahal   कौन   kehta   .. ` दिल   से   hamko   mitta   देना   करने के लिए   Chaho हमको   भुला   देना   करने के लिए   Chaho संसद   ये   वाड़ा   करो   की   आये   जो   कभी   याद   हमारी रोना   नही   बस   muskura   देना   ... ` Tarasti   nazaron   की   pyas   हो   तुम , Tadapte   दिल की   आस   हो   तुम , Bujti   ज़िंदगी   की   एसएएस   हो   तुम , फिर   कैसे   ना   kahu ?   ..   कुछ   खास   हो   तुम   ... ` आँखों   मुझे   अरमान   दीया   karte   है , हम   Sabki   Neend   चुरा   लिया   करते   है , अब   से   जब जब   Aapki   Palkay   ...   Jhapkeygi   .. समाज   लीना   टैब   टैब   हम   आपको   याद   किया   करते   ...   है