Skip to main content
RTI के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि विगत सात माह में 400  ऐसे बच्चों को 

रजिस्टर्ड किया गया जो एचआईवी से ग्रसित हैं। जाहिर है कि इन बच्चों का जीवन अधिक लंबा

नहीं है । ये तो थी आकड़ों की बात अब हम आपको एक ऐसी वास्तविक घटना से परिचित 

कराने जा रहे है जिसे पढ़कर आप सिहर उठेगे 



एड्स पीड़ितों की बढ़ती संख्या का सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं एवं बच्चों को भुगतना पड़ता है। विगत 3 अप्रैल को इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक 30 वर्षीय महिला ने दम तोड़ दिया था। बुरहानपुर जिले के गंभीरपुरा गांव की इस महिला को 31 मार्च को नेहरू अस्पताल बहुरहानपुर से इन्दौर रेफर किया गया था। एम.वाय. अस्पताल में प्रारंभिक जांच के बाद भर्ती की प्रक्रिया पूरी हुई थी कि डॉक्टरों ने मरीज के पूर्व रिपोर्टों के अध्ययन के बाद पाया कि वह एच.आई.वी. पॉजिटिव है और उन्होंने मरीज को टरका दिया। लाख गुहार के बावजूद डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से साफ-साफ इंकार कर दिया और असहनीय प्रसव पीड़ा से जूझती महिला को उसके परिजन कुछ सोच पाते उसके पहले ही अस्पताल के बाहर पानी टंकी के पास महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया। अस्पताल से उपेक्षित इस महिला की हालत लगातार खराब होने लगी और पुन: 2 अप्रैल को उसे अस्पताल पहुंचाया गया पर काफी देर हो चुकी थी और 3 अप्रैल को रात में उस महिला की मौत हो गई। घटना बहुत ही साधारण दिखती है क्योंकि प्रदेश मे मातृत्व मृत्यु की घटनाएं होती रहती है। लेकिन इस महिला को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि वह एच.आई.वी. पॉजिटिव थी। जिस बीमारी को लेकर डॉक्टरों में इतना उपेक्षा का भाव है, उसको लेकर आमजन में क्या धारणाएं हो सकती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यही हाल एड्स प्रभावित परिवार के बच्चों के साथ भी होता है, जब लोगों को मालुम होता है कि कोई बच्चा एड्स प्रभावित परिवार का है (भले ही वह एच.आई.वी.पॉजिटिव न हो) तो उसका स्कूल में दाखिला नहीं होता, मोहल्ले के बच्चे उससे दूर रहते हैं।


देश में कुल 1,11,608 एड्स मरीज हैं पर सबसे खतरनाक बात यह है कि इनमें एड्स से पीड़ित बच्चों की संख्या 40 प्रतिशत जो लगातार बड़ती जा रही है । यदि इसी प्रकार से ये संख्या बड़ती गई तो एक समय ऐसा आएगा कि हम सब इन मासुमों कों चेहचाहाते हुए कभी भी नही देख पाएगे । 




Comments

Popular posts from this blog

                                                                                                            MERI MAA                                                        प्यारी माँ तू कैसी है क्या मुझको याद करती है तूने पूछा था कैसा हूँ मै मै अच्छा हूँ तेरी ही सोच के जैसा हूँ यंहा सब सो गए हैं मै अकेला बैठा हूँ सोचता हूँ क्या करती होगी तू काम करते करते बालों का जूडा बनाती होगी या फिर बिखरे समानो को समेटती होगी पर माँ अब समान फैलाता होगा कौन मै तो यंहा बैठा हूँ मौन सुनो माँ तुमने सिखाया था सच बोलो सदा आज जो सच बोला तो क्लास के बाहर खड़ा था तुमने ने जैस...
DAUD         आज, ना जाने क्यों ? थक गया हूँ जीवन की इस दौड में कोई राह नहीं सामने दूर तक इन उनींदी आँखों में नया जीवन चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ भय था कभी विकराल लडकपन था नादान माँ का असीम प्यार पिता की डाँट और दुलार जून की दोपहरी में, छत पर वही बिछौना चाहता हूँ आज मै रोना चाहता हूँ नाना‍‍ नानी की कहानियाँ दादा दादी की परेशानियाँ भैया दीदी की लडाईयाँ पापा मम्मी की बलाइयाँ बस उन्हीं लम्हों में आज फिर खोना चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ साथियों के संग होली का हुडदंग बारिश में कागज की नाव दबंग गर्मियों में छुट्टियों के दिन स्कूल में सीखने की उमंग अपने अकेलेपन में, वो टूटे मोती पिरोना चाहता हूँ आज मैं रोना चाहता हूँ कुछ कर गुजरने की चाह सफलता की वो कठिन राह मुश्किलों का सामना करने की पापा की वो सलाह आज फिर से वही सपने संजोना चाहता हूँ ना जाने क्यों, आज मैं रोना चाहता हूँ शायद कुछ छोड आया पीछे आगे बढ़ने की हौड में पीछे रह गये सब, मैं अकेला इस अंधी दौड में लौटा दो कोई मेरा बचपन, पुराना खिलौना चाहता हूँ हाँ, आज मैं रोना चाह...